विभागान्तर्गत महत्त्वपूर्ण योजना 2011-12 |
(1) महादलित विकास योजना: - महादलित विकास योजना के
अन्तर्गत वासभूमि रहित महादलित परिवारों को प्रति परिवार 03 डिसमिल वास भूमि उपलब्ध
कराने की योजना वित्तीय वर्ष 2009-10 से राज्य में लागू है।
इस योजना के अन्तर्गत सर्वप्रथम वासभूमि रहित महादलित परिवारों को गैरमजरूआ मालिक/खास,
गैरमजरूआ आम तथा बी0 पी0 पी0 एच0 टी0 एक्ट के तहत बन्दोबस्ती द्वारा वासभूमि उपलब्ध
कराया जाना है। जिन वासभूमि रहित परिवारों को उपर्युक्त श्रेणी के भूमि से आच्छादित
नहीं किया जा सकता है, उन्हें रैयती भूमि की क्रय नीति के तहत 20000/- रूपए की वित्तीय
अधिसीमा के अधीन प्रति परिवार 03 डिसमिल रैयती भूमि क्रय कर वासभूमि उपलब्ध कराया जाना
है।
अद्यतन सर्वेक्षण के अनुसार कुल 220729 वासरहित महादलित परिवार हैं, जिन्हें इस योजना
के तहत वासभूमि उपलब्ध कराया जाना है।
(2) गृह- स्थल: - गृहस्थल योजना के अंतर्गत सुयोग्य श्रेणी के वसभूमि
रहित परिवारों को बासगीत हेतु 3 डी0 जमीन उपलब्ध कराया जाता है। इस हेतु सरकारी जमीन
की अनुपलब्धता की स्थिति में 20,000/ रु० प्रति 03 डी० कि वित्तीय अधिसिमा में रैयती
भूमि का क्रय कर प्रति परिवार ०३ डी० वस्भूमि उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत
वित्तीय वर्ष 2011-12 में 1500.00 लाख रूपए का आवंटन राज्य के जिलों को उपलब्ध कराया
गया है। अबतक जिलों द्वारा कुल-204.00 लाख रूपए का व्यय कर कुल-1022 परिवारों को इस
योजना के तहत वासभूमि उपलब्ध कराई गई है।
(3) संपर्क सड़क: - संपर्क सड़क योजना के अंतर्गत सम्पर्क पथ विहीन
वाले वैसे टोले, मुहल्लों, जहाँ कमजोर वर्ग के लोग रहते हैं, को यातायात की सुविधा
प्रदान करने के लिए मुख्य सड़क से जोड़ने हेतु सरकारी जमीन अथवा सरकारी जमीन की अनुपलब्धता
की स्थिति में रैयती भूमि का अर्जन किये जाने का प्रावधान है। वित्तीय वर्ष 2011-12
में 925.62 लाख रूपए आवंटित की गई है। आवंटित राशि के विरूद्ध अबतक 229.85 लाख रूपए
का व्यय कर अबतक 114 योजनाएँ पूर्ण करते हुए 128 ग्राम/ टोले/मोहल्ले को सम्पर्क सड़क
से जोड़ा गया है।
(4) सरकारी भूमि का हस्तांतरण: - वित्तीय वर्ष 2011-12 में अब तक
73 भूमि हस्तांतरण के मामले की स्वीकृत दी गई जिसके अन्तर्गत कुल 642.4873 एकड़ सरकारी
भूमि हस्तांतरित किये गये, इस योजना अंतर्गत भूमि का हस्तानान्तरण सार्वजनिक लाभ हेतु
किया जाता है।
(5) भू-अर्जन: - विकास प्रक्रिया में भू अर्जन एक अनिवार्य आवश्यकता
है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विभिन्न केन्द्रीय एवं राज्य परियोजनाओं के लिए भू
अर्जन प्रक्रिया में तेजी लाने हेतु कदम उठाये गये हैं। सरकार के द्वारा बिहार भू अर्जन
पुनस्थापन एवं पुर्नवास नीति 2007 लागू की गई है। इसके तहत अर्जित की जाने वाली भूमि
का मूल्य निर्धारण भूमि के निबंधन हेतु मुद्रांक शुल्क अधिरोपित किये जाने वाले मूल्य
पर 50 प्रतिशत जोड़कर सामान्य स्थिति में 30 प्रतिशत एवं भूधारी के द्वारा स्वेच्छा
से भूमि दिये जाने पर 60 प्रतिशत सोलेशियम भी दिया जाता है।
(6) सरकारी भूमि की बन्दोबस्ती: - सरकारी भूमि की बंदोबस्ती सुयोग्य
श्रेणी के व्यक्तियों के साथ करने का सरकार के उद्धेश्य की पूर्ती की दिशा में कृषि
एवं गृह स्थल हेतु सुयोग्य श्रेणी के वर्ष 2006-07 में कुल 2715 लाभान्वितों के बीच
771.88 एकड़ भूमि बदोबस्त की गई थी । वर्ष 2007-08 में 575.00 एकड़ भूमि 1378 लाभान्वितों
के बीच वितरित की गई है।वर्ष 2008-09 में 203.88 एकड़ भूमि 1453 लभान्वितों के बीच
वितरीत कि गई।वर्ष 2009-10 में 464.59 एकड़ भूमि 8807 लाभान्वितों के बीच वितरित की
गई है। वर्ष 2010-11 में 921.91 एकड़ भूमि 10,030 लाभान्वितों के बीच वितरित की गई
है। वर्ष 2011-12 में 373.07 एकड़ भूमि 14547 लाभान्वितों के बीच वितरित की गई।
(7) बासगीत पर्चा: - रैयती भूमि पर बसे भूमिहीन व्यक्तियों को बी०
पी० पी० एच० टी० एक्ट,१९४७ के तहत गृह हेतु वासगीत पर्चा का वितरण किया जाता है। वर्ष
2006-07 में कुल 402.87 एकड़ भुमि 10494 व्यक्तियों के बीच वितरित किया गया। वष्र्ष
2007-08 में 15700 व्यक्तियों के बीच बासगीत पर्चा वितरित की गई है, जिसमें 800.06
एकड़ भूमि सन्निहित है। वर्ष 2008-09 में 14184 व्यक्तियों के बीच 613.43 एकड़ भूमि
पर्चा वितरीत हुआ। वर्ष 2009-10 में 10399 व्यक्तियों के बीच 366.03 एकड़ भूमि पर्चा
वितरित हुआ। वर्ष 2010-11 में 15558 व्यक्तियों के बीच 532.51 एकड़ भूमि पर्चा वितरित
हुआ। वर्ष 2011-12 में 10292 व्यक्तियों के बीच 433.46 एकड़ भूमि वितरित की गई है।
इस निमित लागू कानून के तहत पात्र व्यक्ति द्वारा आवेदन दिये जाने के साथ-साथ राजस्व
कर्मियों के द्वारा सर्वेक्षण कराते हुए त्वरित कार्रवाई किये जाने हेतु कार्य योजना
बनाई जा रही है।
(8) भू-हदबंदी अधिनियम के तहत प्राप्त अधिशेष भूमि का वितरण: - भू
हदबंदी अधिनियम के तहत सुयोग्य श्रेणी के व्यक्तियों के बीच अधिशेष भूमि का वितरण किया
जाना है।वित्तीय वर्ष 2006-07 में कुल 750 एकड़ लक्ष्य के विरूद्ध 2138 लाभान्वितों
के बीच 901.12 एकड. भूमि वितरित की गई।वित्तीय वष्र्ष 2007-08 में कुल 750 एकड़ लक्ष्य
के विरूद्ध 1825 लाभान्वितों के बीच 655.72 एकड. भूमि का वितरण किया गया। वित्तीय वष्र्ष
2008-09 में कुल 155 लभान्वितों के बीच 64.09 एकड़ भूमि का वितरण किया गया। वित्तीय
वष्र्ष 2009-10 में कुल 98 लभान्वितों के बीच 27.72 एकड़ भूमि का वितरण किया गया। वित्तीय
वष्र्ष 2010-11 में कुल 111 लभान्वितों के बीच 43.98 एकड़ भूमि का वितरण किया गया।
(9) भू-दान: - भू-दान में प्राप्त भूमि के वितरण हेतू बिहार भूमि
सुधार आयोग के प्रतिवेदन में की गई अनुशंसाओं, यथा सरकार द्वारा स्वीकृत, के अनुसार
भूदान में प्राप्त भूमि के वितरण एवं सभी अनुवत्र्ती कार्रवाईयाँ बिहार भूदान यज्ञ
कमिटि द्वारा की जा रही है।
इस सिलसिले में सम्पुष्ष्टि एवं वितरण योग्य भूमि के वितरण के पष्चात अनुवर्ती कार्रवाई
यथा- दाखिल-खारिज, शुद्धिपत्र निर्गत किया जाना, जमाबंदी पंजी में यथा योग्य प्रविष्ष्टि
एवं विलोपन, लगान निर्धारण एवं मांग सृजन, लगान रसीद निर्गत करना, कम्प्यूटराईजेषन
की कार्रवाई किये जाने का निदेष सभी जिलाधिकारीगण एवं सभी प्र्रमंडलीय आयुक्तगण को
दिया गया है। वितरण के अयोग्य भूमि के प्रतिवेदित मामलों को बंजर भूमि की परिभाषा की
कसौटी पर परखते हुये उन्हें बंजर भूमि विकास योजना के तहत उपयोग में लाने हेतु कार्रवाई
किये जाने का भी निदेष दिया गया है। प्रारम्भ से अबतक 255680.32 एकड़ भूमि वितरित की
जा चुकी है।
(10) दाखिल खारिज: - वर्ष 2006-07 विशेष अभियान चला कर 1867070 दाखिल
खारिज वादों का निष्पादन किया गया था।वर्ष 2007-08 में अबतक कुल 803973 दाखिल खारिज
वादों का निष्पादन किया गया है। वर्ष 2008-09 में कुल 974528 वादों का निष्पादन किया
गया है।वर्ष 2009-10 में कुल 784938 वादों का निष्पादन किया गया। वर्ष 2010-11 में
दिसम्बर तक 642564 वादों का निष्पादन किया गया। वर्ष 2011-12 में नवम्बर तक कुल 754402
वादों का निष्पादन किया गया। नामान्तरण की कार्रवाई पारदर्शी, प्रभावी एवं त्वरित बनाने
के उद्धेश्य से निबंधन कार्यालयों से अंचल अधिकारीगण को एल.एल.आर. फी नोटिस के साथ
निबंधित दस्तावेज की प्रति भी प्राप्त कराने का आदेश दिया गया, ताकि विहित प्रक्रिया
अनुसार नोटिस देते हुए अंचल अधिकारी नामान्तरण की कार्रवाई अविलंब प्रारंभ करें। नामांतरण
के पश्चात् शुद्धि पत्र निर्गत किया जाना, जमाबन्दी कायम करते हुए मालगुजारी रसीद प्रदान
कर हल्का कर्मचारी के मांग पंजी में वांछित सुधार अबिलंम्ब करने का निर्देश दिया गया।
इसके अतिरिक्त विभागीय परिपत्र संख्या -473 (9) दिनांक 31.11.09 द्वारा प्रत्येक माह
के द्वितीय एवं चतुर्थ मंगलवार को राज्य के सभी अंचलों में राजस्व शिविर आयोजित कर
मामलों का त्वरित निष्पादन करने का निदेश सभी समहर्ताओं को दिया गया है।
(11) भू-लगान वसूली: - भू-लगान की वसूली न सिर्फ राजस्व की दृष्टि
से वरन् भूमि संबंधि विवादों के निष्पादन एवं सामाजिक शांति बनाये रखने में भी अहम
भूमिका अदा करता है। वर्ष 2006-07 में 85 करोड़ लक्ष्य के विरूद्ध 46.48 करोड़ की वसूली
कर लक्ष्य का 54.69 प्रतिशत प्राप्त किया गया था। वर्ष 2007-08 में कुल माँग 100 करोड़
के विरूद्ध 27.46 करोड़ रूपयों की वसूली की गई है जो लक्ष्य का 27.46 प्रतिशत है।वर्ष
2008-09 में कुल माँग 100 करोड़ के विरूद्ध 45.37 करोड़ रूपये की वसूली की गई जो लक्ष्य
का 45.37 प्रतिशत है।वर्ष 2009-10 में कुल माँग 110 करोड़ के विरूद्ध 39.16 करोड़ रूपये
की वसूली की गई जो लक्ष्य का 35.60 प्रतिशत है। वर्ष 2010-11 में कुल माँग 112 करोड़
के विरूद्ध दिसम्बर,10 तक 196144094.36 करोड़ रूपये की वसूली की गई जो लक्ष्य का 17.49
प्रतिशत है। वर्ष 2011-12 में कुल मांग 140 करोड़ के विरूद्ध 28.03 करोड़ रूपये की
वसूली की गयी जो लक्ष्य का 20.02 प्रतिशत है।
(12) सैंरातों की बन्दोबस्ती: - वर्ष 2006-07 में कुल 6867 सैरातों
में से बंदोबस्त सैरातों की संख्या 4892 एवं राशि 442.33 लाख रूपया हैं। वर्ष 2007-08
में कुल 5954 सैरातों में से बंदोबस्त सैरातों की संख्या 3787 एवं राशि 460.30 लाख
रूपया है।वर्ष 2008-09 में कुल सैरातों की संख्या 6071 में से बंदोबस्त सैरातों की
संख्या 4422 एवं राशि 605.15लाख रू0 है।वर्ष 2009-10 में कुल सैरातों की संख्या 7928
में से बंदोबस्त सैरातों की संख्या 4406 एवं राशि 916.42 लाख रू0 है। वर्ष 2010-11
में दिसम्बर,10 तक कुल सैरातों की सं0-6927 में से बंदोबस्त सैरातों की संख्या-3368
एवं राशि 946.11 लाख रू0 है। वर्ष 2011-12 में कुल सैरातों की सं0-6903 में से बन्दोबस्त
सैरातों की संख्या 3607 एवं राशि 102.33 लाख रूपये है।
(13) लोक भूमि अतिक्रमण: - सामाजिक शांति एवं व्यवस्था वनाये रखने
के लिए लोक भूमि अतिक्रमण से मुक्त रखना आवश्यक है। वर्ष 2006-07 में 2258 वादों का
निष्ष्पादन कर 829.43 एकड़ भूमि पर से अतिक्रमण हटाया गया | वर्ष 2007-08 में कुल 1249
वादों का निष्ष्पादन किया गया जिसमें 382.39 एकड़ भूमि सन्निहित है। वर्ष 2008-09 में
कुल 2401 वादों का निष्ष्पादन किया गया जिसमें 477.78 एकड़ भूमि सन्निहित है। वर्ष
2009-10 में कुल 1697 वादों का निष्ष्पादन किया गया जिसमें 355.04 एकड़ भूमि सन्निहित
है। वर्ष 2010-11 में कुल 1088 वादों का निष्ष्पादन किया गया जिसमें 871.94 एकड़ भूमि
सन्निहित है। वर्ष 2011-12 में कुल 1285 वादों का निष्ष्पादन किया गया जिसमें 242.34
एकड़ भूमि सन्निहित है।
(14) बटाईदारी से सम्बंधित मामलों का प्रतिवेदन: - बटाईदारों को अपने
अधिकार प्राप्त करने की दिशा में बटाईदारी मामलों का ससमय निष्पादन एक आवश्यक कार्य
है।वित्तीय वर्ष 2006-07 में कुल 444 मामलों का निष्पादन किया गया गया जिसमें कुल 534.24
एकड़ भूमि सन्निहित है।वर्ष 2007-08 में कुल 403 मामलों का निष्पादन किया गया ,जिसमें
कुल 661.69 एकड़ भूमि सन्निहित है। वर्ष 2008-09 में कुल 281 मामलों का निष्पादन किया
गया जिसमें 483.20 एकड़ भूमि सन्न्हिित है। वर्ष 2009-10 में कुल 150 मामलों का निष्पादन
किया गया जिसमें 245.16 एकड़ भूमि सन्निहित है। वर्ष 2010-11 में कुल 81 मामलों का
निष्पादन किया गया जिसमें 117.82 एकड़ भूमि सन्निहित है। वित्तीय वर्ष 2011-12 में
कुल 98 मामलों का निष्पादन किया गया जिसमें 217.74 एकड़ भूमि सन्निहित है|
(15) चकबंदी : - माननीय उच्च न्यायालय, पटना के आदेश के आलोक में
वर्ष 2004 से चकबंदी कार्य पुनः आरम्भ किया गया है। वर्तमान में राज्य के पाँच जिलों
के 39 अंचलों में चकबंदी कार्य सक्रिय तौर पर चलाया जा रहा है|
(16) भू-अभिलेखों का अद्यतीकरण एवं बन्दोबस्त कार्य :- कृषि प्रधान
अर्थव्यवस्था में भूमि की एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निर्विवाद है। सूचना प्रौद्योगिकी
की सर्वव्यापी उपयोगिता के मद्देनजर भू-अभिलेखों के निर्माण एवं संधारण सहित समग्र
भूमि प्रबंधन व्यवस्था में इसे समाहित करते हुए एक व्यापक भूमि संसाधन प्रबंधन कार्यक्रम
लागू किया जाएगा।
भू-अभिलेखों के अद्यतीकरण योजनान्तर्गत कैडस्ट्रल सर्वेक्षण द्वारा तैयार किए गए भू-अभिलेखों
को अद्यतन करते हुए भूमि का पूर्ण सर्वेक्षण, खतियान का प्रकाशन तथा लगान निर्धारण
करना मुख्य उद्देश्य है। लगान निर्धारण के फलस्वरूप सरकार के राजस्व में वृद्धि होती
है। यह एक जन कल्याणकारी योजना है, जिसमें रैयतों के हितों की रक्षा की जाती है।
बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त विधेयक, 2011 के द्वारा राज्य के समस्त ग्रामीण/शहरी
क्षेत्र के भू-खंडो का आधुनिक तकनीक से अद्यतन खतियान तथा मानचित्र तैयार किया जाएगा।
राष्ट्रीय भू-अभिलेखों के आधुनिकीकरण कार्यक्रम( THE NATIONAL LAND RECORDS MODERNIZATION
PROGRAMME – NLRMP ) भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा
अनुशंसित एवं स्वीकृत योजना है। इसके अन्तर्गत राज्य के सभी 38 जिलों को चरणबद्ध तरीके
से शामिल किया गया है।
NLRMP में निम्नलिखित कार्यक्रमों को शामिल किया गया है:-
(i) भू-अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण 100%: केन्द्रीय अनुदान पर आधारित योजना है। इसके
अन्तर्गत निम्नलिखित कार्यक्रम किए जाने है:-
(a) डाटा इन्ट्री/री-डाटा इन्ट्री/डाटा कनवर्जन
(b) जिला अनुमंडल एवं अंचल स्तर पर डाटा केन्द्रों की स्थापना
(c) राजस्व कार्यालयों के बीच अन्तः सम्बद्धीकरण (Interconnectivity) एवं (d) सर्वे
मानचित्रों की डिजिटाईजेशन।
(ii) आधुनिक तकनीक से रिविजनल सर्वे तथा सर्वे एण्ड सेटलमेंट अभिलेखों का अद्यतीकरण
(50-5%: मैचिंग ग्रांट पर आधारित)।
(iii) अंचल स्तर पर आधुनिक अभिलेखागार/भू-अभिलेख प्रबंधन व्यवस्था का निर्माण (50-50%:
मैचिंग ग्रांट पर आधारित)।
इन योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु केन्द्रीय अनुदान/अंशदान के रूप में 3173.12 लाख रूपये
उपलब्ध कराया गया है। राज्य योजना मद से भी 3210.83 लाख रूपये उपलब्ध कराए गए है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य कम्प्यूटर के माध्यम से भू-अभिलेखों का संधारण, अद्यतीकरण
तथा अद्यतन अभिलेखों की कम्प्यूटरीकृत प्रति आम रैयतों को उपलब्ध कराना है। इस कार्यक्रम
के द्वारा वर्षाे पूर्व संधारित भू-अभिलेखों को अद्यतन करते हुए इसे सी0डी0 में संधारित
किया जायगा क्योंकि हस्तलिखित अभिलेख लगातार इस्तेमाल में लाए जाने के कारण क्षतिग्रस्त
हो रहे है।
पूर्व में संचालित भू-अभिलेखो के कम्प्यूटरीकरण योजना के अन्तर्गत विगत साढ़े चार वर्षाे
में राज्य के कुल 45740 राजस्व ग्रामों में से 21906 राजस्व ग्रामों के डाटा इन्ट्री
का कार्य पूरा किया गया। इस कार्य में कुल 485.93 लाख रूपये का व्यय किया गया है।
राज्य के 516 अंचलों में कम्प्यूटर के माध्यम से खतियान के संधारण, अद्यतीकरण तथा वितरण
के उद्देश्य से केन्द्रीय अनुदान की राधि 1960.80 लाख रूपये बेलट्राॅन को उपलब्ध कराते
हुए हार्डवेयर की आपूत्र्ति, अधिष्ठापन, वायरिंग एवं नेटवर्किंग का कार्य प्रारम्भ
कर दिया गया है। राज्य के सभी जिलों के प्रत्येक अंचल में एक-एक डाटा इन्ट्री आॅपरेटर
बेलट्राॅन के द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। भविष्य में आॅन लाईन दाखिल- खारिज की
प्रक्रिया प्रारम्भ करते हुए डाटा आॅन लाइन करने की योजना है।
सर्वे मानचित्रों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए डिजिटाईजेशन का कार्य प्रारम्भ
किया गया है। सर्वप्रथम पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी अंचल
के 1152 सर्वे मानचित्रों को डिजिटाइज्ड किया गया। पुनः दूसरे चरण में भोजपुर, बक्सर,
रोहतास तथा कैमूर जिले के 14672 सर्वे मानचित्रों को खतियान के डाटा के साथ इंटिग्रेट
करने की भी योजना है। उपर्युक्त चार जिले के सभी अंचलों में डिजिटाईजेशन कार्य हेतु
साॅफ्टवेयर स्थापित किया जाएगा जिसके फलस्वरूप सुलभता से राजस्व मानचित्रों की आपूत्र्ति
की जा सकेगी। सम्प्रति डिजिटाइज्ड मानचित्रों का मूल मानचित्रों से सत्यापन की कार्रवाई
की जा रही है।
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