THE HON'BLE ADMINISTRATIVE MEMBERS |
माननीय सदस्य(प्रशासनिक)
बिहार भूमि न्यायाधिकरण बिहार, पटना
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बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। इस राज्य की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। भूमि
एक महत्वपूर्ण संसाधन होने के कारण प्रायः भूमि संबंधी विवाद उत्पन्न होते रहते हैं।
भूमि विवाद की अधिकता के कारण राज्य के विकास एवं प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इसी पृष्ठभूमि में राज्य की जनता के हित में लंबित भूमि विवादों के त्वरित निष्पादन
हेतु बिहार भूमि न्यायाधिकरण का गठन किया गया है। बिहार भूमि न्यायाधिकरण का गठन करने
से भूमि विवाद निराकरण विशेषकर अनुसूचित जाति/जनजाति तथा आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों
को मदद मिलेगी तथा शीघ्र न्याय मिलने का रास्ता प्रशस्त होगा।
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श्री अशोक चौहान
माननीय सदस्य(प्रशासनिक)
बिहार भूमि न्यायाधिकरण बिहार, पटना
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बिहार राज्य का क्षेत्रफल लगभग 94 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से सकल कृषिकृत क्षेत्रफल (gross cultivated area) लगभग 79.46 लाख हेक्टेयर है। जबकि बिहार की जनसंख्या लगभग 10.40 करोड़ (2011) है। इस राज्य की 70: (प्रतिशत) जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। इस प्रकार इस राज्य में भूमि एक महत्वपूर्ण संसाधन है, प्रति व्यक्ति कृषि भूमि कम होने के कारण काफी तनाव उत्पन्न होता है। जो भूमि विवाद के मुख्य कारण है। भूमि विवाद की संख्या अत्यधिक होने के कारण राज्य के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
अतः शीर्ष न्यायपालिका एवं सरकार के द्वारा लंबित भूमि विवादों के शीघ्र निष्पादन हेतु बिहार भूमि न्यायाधिकरण का गठन ’’बिहार भूमि न्यायाधिकरण अधिनियम, 2009’’ के अधीन किया गया है। बिहार भूमि न्यायाधिकरण के गठन से भूमि संबंधी विवादों के त्वरित न्यायनिर्णय हेतु एक समेकित न्यायिक मंच का सृजन हुआ है।
बिहार राज्य की व्यापक सार्वजनिक हित के लिये बिहार भूमि न्यायाधिकरण का सृजन अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह भूमि संबंधी विवादों का निपटारा हेतु एक सक्षम एवं प्रशस्त न्यायिक मंच प्रदान करता है।
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